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देवशयनी एकादशी कब है 2024, व्रत कथा

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सुप्ते त्वयि जगन्नाथ, जगत् सुप्तं भवेदिदम्। विबुद्धे त्वयि बुध्येत, जगत् सर्वं चराचरम्॥ अर्थात् हे जगन्नाथ, जब आप सोते हैं तो यह जगत् सो जाता है और जब आप जागते हैं तो समस्त जड़-चेतन जगत् प्रकाशित हो जाता है।   इस शास्त्र कथन के अनुसार, आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी से कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तक चातुर्मास काल में सृष्टिकर्ता भगवान विष्णु शयन अवस्था में रहते हैं। इसलिए इस प्राचीन एवं धार्मिक परंपरा के अनुसार इन चार महीनों में विवाह, गृहप्रवेश, नामकरण, यज्ञोपवीत आदि सभी प्रकार के शुभ कार्य वर्जित होते हैं। निषेध इसलिए है क्योंकि यदि इस जगत के रचयिता ही शयन अवस्था में होंगे तो हमें कौन आशीर्वाद देगा। देवशयनी एकादशी व्रत कथा के अनुसार सतयुग में मान्धाता नामक चक्रवर्ती सम्राट राज्य करता था। वह एक अच्छा राजा था, उसकी प्रजा बहुत सुखी थी। लेकिन भविष्य में क्या होगा यह कोई नहीं जानता था। इसलिए राजा को इस बात का भी पता नहीं था कि उसके राज्य में भयंकर अकाल पड़ने वाला है। एक समय ऐसा आया जब उसके राज्य में तीन वर्षों तक वर्षा नहीं हुई। इस अकाल के कारण हर जगह हाहाकार मच गया। र...