गणेश-हनुमान आराधना
गणेशजी प्रथम पूज्य है और उनके साथ में हनुमान जी
की आराधना उसे और बल देती है. तमिलनाडु में
एक कहावत है "शुरुआत गणेश से और अंत आंजनेय से ". एक मंदिर है वहां आद्यंत
प्रभु का, वहां देव विग्रह में गणेशजी और हनुमान जी सम्मिलित है। जैसे अर्धनारीश्वर (शिव-पार्वती), हरी-हर (विष्णु
- शिव). यहाँ बहुत से श्रद्धालु दर्शन प्राप्त करते है.
ऐसा माना जाता है कोई व्यक्ति
नवग्रह के नकारात्मक प्रभाव से पीड़ित हो, उसे
गणेश और हनुमान की आराधना साथ में करनी चाहिए। दोनों मंगल मूर्ति है, संकट नाशक, दोनों
बल बुद्धि प्रदाता है। भक्ति और ज्ञान का संगम।
एक शिव पुत्र है तो एक रुद्रावतार।
तुलसीदास जी ने रामायण की रचना की बालकाण्ड में उन्होंने गिरजा पुत्र की वंदना की और
हनुमान की भक्ति, ज्ञान ,बल की महिमा का गुणगान।
तो आइये हम भी अपने जीवन में और अधिक सफल होने
के लिए उन से शुद्ध आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
॥ ॐ ॥ गाइये
गणपति जगवंदन गाइये गणपति जगवंदन | शंकर
सुवन भवानी के नंदन ॥
गाइये गणपति जगवंदन …
सिद्धि सदन गजवदन विनायक | कृपा
सिंधु सुंदर सब लायक॥
गाइये गणपति जगवंदन …
मोदक प्रिय मुद मंगल दाता | विद्या बारिधि बुद्धि विधाता॥
गाइये गणपति जगवंदन …
मांगत तुलसीदास कर जोरे | बसहिं रामसिय मानस मोरे ॥
पवन तनय संकट हरण,मंगल मूरति
रूप ,
राम लखन सीता सहित हृदय बसहु सुरभूप।
गजानन गणपति महाराज की जय सियावर
राम चंद्र जी की जय, उमापति महादेव की जय पवनसुत हनुमान की जय ॥ ॐ ॥
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